पुरानी दुनिया बदल अब नई बन रही है, तुम्हें अब पुरूषार्थ कर उत्तम देव पद पाना है
पुरानी दुनिया को पतित, नई दुनिया को पावन कहेंगे।
पुरानी दुनिया को नया बनाने बाप आये हैं।
यह है पुरूषोत्तम संगमयुग। जबकि पुरानी दुनिया खत्म हो और नई दुनिया स्थापन होती है।